उप चुनाव की कसौटी पर फिर भाजपा, विपक्षी दलों के बिखराव से बढ़ी उम्मीद

गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर उपचुनाव में पराजय का स्वाद चख चुकी भाजपा फिर विधानसभा उप चुनाव की कसौटी पर है। उत्तर प्रदेश की 11 सीटों में 2017 में भाजपा ने सहयोगी अपना दल एस के साथ मिलकर नौ सीटें जीती थीं। इस आंकड़े को बचाये रखने के लिए जहां भाजपा पूरी ताकत से जूझ रही है वहीं आखिरी दौर में विपक्ष ने भी घेराबंदी की है।


भाजपा का उप चुनावों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। कानपुर देहात की सिकंदरा, आगरा उत्तरी, निघासन और हमीरपुर जैसी सीटें भाजपा ने भले जीत लीं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर जैसी संसदीय सीट का हाथ से फिसलना भाजपा के लिए बड़ा झटका रहा है। पुरानी हार से सबक लेकर भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा के हक में इस बार सबसे अनुकूल समीकरण विपक्षी दलों का बिखराव है।


उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद हुए उप चुनावों में हमीरपुर को छोड़कर बाकी सीटों पर बसपा चुनाव मैदान से बाहर ही रही है। इस बार वह 11 सीटों पर मुकाबिल है, वहीं सपा और कांग्रेस भी अपनी-अपनी ताकत लगा रही हैं। फागू चौहान के बिहार का राज्यपाल बनाये जाने से रिक्त हुई मऊ जिले की घोसी सीट पर कुल 11 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य लड़ाई भाजपा के विजय राजभर, सपा समर्थित सुधाकर सिंह, बसपा के अब्दुल कय्यूम अंसारी के बीच है। दो बार विधायक रहे सुधाकर सिंह ने विजय की राह रोकने के लिए ताकत लगा दी है।