2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है। गांधी जी की 150वीं जन्म शताब्दी पर देश और दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम होंगे। इस दौरान गांधी जी के जीवन से लेकर उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन के हर छोटे-बड़े हिस्से को याद किया जाएगा। गांधी जन्म शताब्दी के डेढ़ सौ साल होने पर गांधी जी के आंदोलन भी केंद्र में होंगे। बहरहाल, इस बीच बापू का परिवार भी चर्चा के केंद्र में है। जितना गांधी जी ने राष्ट्र के आंदोलन में सक्रिय सहयोग दिया वैसी ही सहभागिता उनकी जीवनसंगिनी बा कस्तूरबा ने भी दी। यही नहीं गांधी जी के सभी पुत्रों ने भी राष्ट्र की आजादी के लिए योगदान दिया। बापू के चारो पुत्रों का जन्म दक्षिण अफ्रीका में ही हुआ था। महात्मा गांधी के चार पुत्र थे। हरिलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मणिलाल गांधी। आइए जानें गांधी जी के चारों पुत्रों के बारे में।
हरिलाल गांधी: मोहनदास करमचंद गांधी जी के सबसे बड़े पुत्र थे हरिलाल गांधी। गांधी जी के ज्येष्ठ पुत्र हरिलाल गांधी का जीवन बापू के जीवन के प्रति विपरित और विवादित रहा। जीवन के प्रति नैतिक आचरण का जो संकल्प और जोर बापू के पास रहा वैसा हरिलाल में नहीं दिखाई दिया। जीवन के कई फैसलों से उन्होंने बापू को तकलीफ भी पहुंचाई। हालांकि बड़े पुत्र के प्रति बापू की जिम्मेदारियों को लेकर भी कई तरह के बातें सामने आईं। उल्लेखित पत्रों और गांधी जीवन के जानकार विद्वानों के मुताबिक हरिलाल गांधी की अपने पिता से बहुत सी इच्छाएं और अपेक्षाएं थीं जिन पर एक पिता के रूप में बापू खरे नहीं उतरे। हरिलाल अपने जीवन को अपनी तरह से व्यतीत करना चाहते थे। लेकिन कई जानकारों के मुताबिक अपने बड़े पुत्र हरिलाल की कई आदतों और इच्छाओं को पूरी करने की इजाजत गांधी जी ने नहीं दी। गांधी जी के पत्र के अनुसार हरिलाल विदेश जाकर वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे और पिता की तरह की बड़ा बैरिस्टर बनने की चाहत रखते थे। लेकिन गांधी जी का मानना था कि विदेश में मिली शिक्षा किसी भी तरह से ब्रिटिश राज को खत्म करने में सहायक नहीं होगी। साथ ही पिता गांधी अपने पुत्र के शराब और विलासी जीवन से अत्यन्त ही दुखी और परेशान रहते थे। 1948 में पिता की मृत्यु से एक महीना पहले ही पुत्र हरिलाल का देहांत हो गया।
मणिलाल गांधी: महात्मा गांधी के दूसरे पुत्र थे मणिलाल गांधी। बड़े पुत्र के स्वभाव से अलग मणिलाल एक अत्यंत ही आज्ञाकारी पु्त्र थे। और इन्होंने अपने पिता की विरासत को भली प्रकार से संभाला था। मणिलाल का जन्म 28 अक्टूबर 1892 को हुआ था। मणिलाल ने अपने जीवन के बहुत से साल दक्षिण अफ्रीका में बिताए थे। जीवन की बहुत सी कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने पिता के दिखाए मार्ग से कभी भटकने की चेष्टा नहीं की। 1903 में महात्मा गांधी जी के शुरु किए गए अखबार इंडियन ओपिनियन का संचालन करने का काम मणिलाल ने ही किया था। भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी लोगों के लिए सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ आवाज उठाई और कई बार जेल भी गए। उनके महान कार्यों के बावजूद वो कभी भी अपने पिता के विराट अस्तित्व से अलग नहीं हो पाए। रामदास गांधी : गांधी जी के तीसरे पु्त्र थे रामदास गांधी। इनका जन्म 2 जनवरी 1897 को हुआ था। पिता के मार्ग पर चलते हुए इन्होंने भी अंग्रेजों के विरुद्ध बहुत से आंदोलनों में हिस्सा लिया। जीवन के बहुत से साल दक्षिण अफ्रीका में बिताने के कारण पिता के आदर्शों पर चलने की ताकत नहीं दिखा पाए। पिता के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेन के बाद भी इनका अस्तित्व गांधी जी से अलग नहीं हो सका। इनके परिवार में इनकी पत्नी निर्मला और तीन बच्चे थे, सुमित्रा, ऊषा और कनु गांधी। दुर्भाग्य से वर्तमान में इनके परिवार का कोई भी सदस्य जीवित नहीं है। पिता महात्मा गांधी को मुखाग्नि रामदास गांधी ने ही दी।
देवदास गांधी: महात्मा गांधी के चारों पुत्रों में सबसे छोटे थे देवदास गांधी। देवदास का जन्म 22 मई 1900 को हुआ था। वे एक अच्छे पत्रकार थे और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल की यात्रा की थी। अपने महान कार्यों के बाद भी गांधी जी के किसी भी पु्त्र का इतिहास में कहीं भी नाम नही है, क्योंकि गांधी जी कभी नहीं चाहते थे कि उनके पु्त्र अपने पिता के नाम के सहारे जीवन में आगे बढ़े। लेकिन महात्मा गांधी की इस सोच से उनके परिवार के लोग सहमत नही रहते थे। देवदास का विवाह सी. राजगोपालाचारी की पुत्री लक्ष्मी से हुआ था। जिनसे इन्हें चार बच्चे राजमोहन गांधी, गोपालकृष्ण गांधी, रामचंद्र गांधी और पुत्री तारा गांधी थीं।